
साय सरकार में बदल रहा बस्तर: सड़कों, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के नए मॉडल की कहानी
छत्तीसगढ़ के बस्तर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, बिजली, पर्यटन और पुनर्वास नीति की वजह से तेज विकास हो रहा है। नक्सलवाद घटा, स्कूल खुले, सड़कें बनीं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई—जानें पूरी रिपोर्ट।
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर बदल रहा है। कभी नक्सलवाद, भय और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के लिए पहचाने जाने वाला यह क्षेत्र आज विकास, विश्वास और स्थायी शांति की नई कहानी लिख रहा है। वर्षों बाद बस्तर में अब बंदूकों की आवाज़ नहीं, बल्कि स्कूल की घंटी, एंबुलेंस का सायरन, मशीनों की गूंज और बच्चों की हंसी सुनाई दे रही है। यह परिवर्तन एक दिन में नहीं, बल्कि जन-सहभागिता, मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और दूरदर्शी नीतियों का परिणाम है।
एक समय था जब बस्तर के कई गांवों में स्कूल बंद पड़े थे। नक्सलवाद के कारण शिक्षक नहीं पहुंचते थे और बच्चे भय के कारण स्कूल नहीं जा पाते थे।
लेकिन अब हालात बदल चुके हैं—
- बंद स्कूलों को फिर से खोला जा रहा है।
- नए शिक्षक नियुक्त हुए हैं।
- स्मार्ट क्लास, टैबलेट, इंटरनेट जैसी डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
- दरभा, बास्तानार और लोहंडीगुड़ा में नए माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खुल रहे हैं।
- छात्रावासों का विस्तार किया जा रहा है।
शिक्षा अब बस्तर के बच्चों के लिए सपना नहीं, उपलब्ध अवसर बन गई है।
बस्तर में सड़कों का निर्माण ऐतिहासिक रहा है।
PMGSY के तहत अब तक:
- 2388.24 किमी सड़क निर्माण पूरा।
- 856.80 करोड़ से अधिक खर्च।
- 1420+ बसाहटों को पहली बार मुख्य सड़कों से जोड़ा गया।
- 42.30 करोड़ से 16 बड़े पुलों का निर्माण।
ये सड़कें गांवों की जीवनरेखा बन चुकी हैं—बीमारों को अस्पताल, बच्चों को स्कूल, किसानों को बाजार और ग्रामीणों को शहर से जोड़ने का मार्ग अब आसान हुआ है।
यही वजह है कि लोग कह रहे हैं—
“बस्तर में अब सड़क है, सुरक्षा है और सरकार का भरोसा है।”
चित्रकोट, तीरथगढ़, कुटुमसर गुफाएं, कांगेर घाटी जैसे प्राकृतिक स्थल अब बेहतर सड़कों से जुड़े हैं।
इसके परिणामस्वरूप—
- होमस्टे बढ़े
- ईको-टूरिज्म को बढ़ावा
- स्थानीय गाइड और हस्तशिल्प बाजार को रोजगार
- आदिवासी नृत्य-संगीत का विस्तार
पर्यटन अब बस्तर की अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बन रहा है।
सड़क और बिजली के विस्तार ने बस्तर के किसानों, वन उत्पाद संग्राहकों और महिलाओं की आजीविका में नई ऊर्जा भरी है।
- महुआ, इमली, शहद, चार, बांस आदि सीधे बाजार तक जा रहे हैं।
- बिचौलियों की भूमिका कम हुई।
- स्वयं सहायता समूहों द्वारा लघु उद्योग विकास।
- मनरेगा व राज्य योजनाओं से रोजगार वृद्धि।
पहले बीमार व्यक्ति को खाट पर उठाकर कई किलोमीटर दूर ले जाना पड़ता था। अब—
- एंबुलेंस गांव तक पहुंच रही है।
- प्राथमिक, उप-स्वास्थ्य और सामुदायिक केंद्रों का विस्तार।
- मोबाइल मेडिकल यूनिट हाट-बाजारों में इलाज दे रही हैं।
- गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच और बच्चों का टीकाकरण बेहतर हुआ है।
साय सरकार के विद्युतीकरण अभियान ने दूरस्थ इलाकों तक रोशनी पहुंचाई है।
- सोलर माइक्रो-ग्रिड
- मिनी पावर प्लांट
- ट्रांसफार्मर और लाइन विस्तार
अब बच्चे रात में पढ़ पा रहे हैं और गांवों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं।
प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने 31 मार्च 2026 तक सशस्त्र नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य रखा है।
छत्तीसगढ़ सरकार की नई नीति के तहत—
- सैकड़ों माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
- हाल ही में 210 नक्सलियों ने हथियार छोड़े।
- “रेड कार्पेट” स्वागत नीति लागू।
- आत्मसमर्पित युवाओं को प्रशिक्षण, आवास, रोजगार व शिक्षा के अवसर।
मुख्यमंत्री साय का संदेश स्पष्ट है—
“जो हिंसा छोड़ेगा, उसे सम्मानजनक जीवन दिया जाएगा।”
बस्तर आज नए दौर के द्वार पर खड़ा है।
यह परिवर्तन बताता है कि—
बस्तर को भय नहीं, विश्वास चाहिए; हिंसा नहीं, विकास चाहिए।
साय सरकार की योजनाओं से बस्तर अब शांति, साहस, विकास और नई उम्मीद का प्रतीक बन चुका है!











