
संत पवन दीवान की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि, छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक पुरोधा को याद किया गया
संत पवन दीवान की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि, छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक पुरोधा को याद किया गया
रायपुर, 02 मार्च 2025 – छत्तीसगढ़ के प्रख्यात कवि, ओजस्वी वक्ता, प्रखर नेता और सुप्रसिद्ध कथा वाचक संत पवन दीवान की पुण्यतिथि (02 मार्च) पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने संत दीवान को स्मरण करते हुए कहा कि वे केवल एक संत नहीं थे, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा की आवाज़ थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आजीवन प्रदेश की प्रगति और जनकल्याण के लिए समर्पित रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत दीवान के ओजस्वी वचनों में छत्तीसगढ़ की माटी की सौंधी महक थी, जो जन-जन को सहज रूप से जोड़ देती थी। उनकी वाक्-कला अद्वितीय थी, जिसका जादू श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था। उनकी विचारधारा और योगदान छत्तीसगढ़ की संस्कृति, राजनीति और समाज में अमिट छाप छोड़ गया है। उनकी अनुपस्थिति हमेशा खलेगी, लेकिन उनके विचार और आदर्श पीढ़ियों तक प्रेरणा देते रहेंगे।
संत पवन दीवान का जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ था। वे अपने बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने की ओर अग्रसर रहे। वे केवल एक संत ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक, कवि, प्रवचनकार और छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संवाहक भी थे। उन्होंने अपनी कविताओं और ओजस्वी वक्तृत्व कला से समाज को नई दिशा दी।
छत्तीसगढ़ के निर्माण में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वे छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन से गहराई से जुड़े थे और अपने ओजस्वी भाषणों से जनमानस को प्रेरित करते थे। वे समाज के हर वर्ग को जोड़ने का प्रयास करते थे और समानता, न्याय तथा जनहित के लिए सदैव संघर्षशील रहे।
संत पवन दीवान ने राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाई। वे जनहित से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाते थे और सदैव समाज सेवा के कार्यों में लगे रहते थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ की राजनीतिक संरचना को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी नेतृत्व क्षमता और कुशल वक्तृत्व कला ने उन्हें एक जननेता के रूप में स्थापित किया। वे सदैव गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा में तत्पर रहते थे।
संत पवन दीवान केवल एक वक्ता ही नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली कवि भी थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ी और हिंदी में कई रचनाएँ लिखीं, जो जनमानस के हृदय को छू जाती थीं। उनकी कविताएँ सामाजिक चेतना जगाने वाली होती थीं और वे अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करते थे। उनका साहित्य आज भी लोगों को प्रेरणा देता है और उनकी कविताएँ छत्तीसगढ़ी संस्कृति का अभिन्न अंग बनी हुई हैं।
संत पवन दीवान का धार्मिक और आध्यात्मिक योगदान भी उल्लेखनीय है। वे कथा वाचक के रूप में सुप्रसिद्ध थे और उन्होंने अपनी कथाओं के माध्यम से समाज में नैतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार किया। उनकी वाणी में ऐसी शक्ति थी कि जो कोई भी उन्हें सुनता, वह प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। वे हमेशा सत्य, अहिंसा और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते थे।
संत पवन दीवान का जीवन सादगी, सेवा और समर्पण का उदाहरण था। उन्होंने सदैव समाज में एकता, सद्भाव और भाईचारे का संदेश दिया। उनके विचारों में जनकल्याण की भावना प्रमुख थी। वे हमेशा यह कहते थे कि समाज का उत्थान तभी संभव है जब सभी लोग एक-दूसरे का सहयोग करें और परस्पर प्रेम और सद्भाव के साथ रहें। उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं और समाज को नई दिशा प्रदान करती हैं।
संत पवन दीवान की पुण्यतिथि पर छत्तीसगढ़ की जनता ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संगठनों ने उनके योगदान को याद किया और उनके विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। उनकी स्मृति में विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित की गईं, जहाँ उनके अनुयायियों और प्रशंसकों ने उन्हें याद किया और उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।
संत पवन दीवान का योगदान सदैव अमर रहेगा और उनकी शिक्षाएँ समाज को सतत प्रेरित करती रहेंगी। छत्तीसगढ़ की माटी को गौरवान्वित करने वाले इस महापुरुष को समस्त प्रदेशवासी सादर नमन करते हैं।