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LoC पर अलर्ट — क्या होगा ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’? आतंकी लॉन्च-पैड्स और सैफुल्लाह की धमकी के बाद रणनीति

खुफिया इनपुट और वायरल धमकी वीडियोज के बीच भारत ने LoC पर सतर्कता बढ़ाई है। ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि, रक्षा-नेताओं के बयान और संभावित परिदृश्य—जानिए क्या हो सकता है अगला कदम।

ऑपरेशन सिंदूर 2.0 की चर्चा: LoC पर अलर्ट — क्या होगा अगला कदम?

नई दिल्ली।
पुर्नरुत्थान के संकेत मिल रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर का असर अभी थमा नहीं है—इस बार सीमा पर खुफिया सूचनाओं और वायरल धमकी वीडियो के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियाँ सक्रिय मोड में हैं। मई 2025 में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए हवाई और जमीनी निशानेबाजी वाले ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य Pahalgam अटैक जैसे हमलों के ठिकानों को तबाह करना था; अब भी वही कहानी दोहराई जा रही है।

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क्या नया है — खुफिया इनपुट क्या कह रहे हैं

खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान और PoK के विभिन्न हिस्सों में—खासकर पंजाब/बहावलपुर, बांदीपोरा, कुपवाड़ा और बारामूला के सामने—आतंकियों के लगभग 35 लॉन्च-पैड/रिकवरी-साइट्स फिर से सक्रिय हो रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर लश्कर के कमांडर सैफुल्लाह कसूरी और कुछ अन्य चरमपंथी नेताओं के उकसाने वाले वीडियो सामने आए हैं जिनमें वे भारत विरोधी बयान दे रहे हैं और गजवा-ए-हिंद जैसे नारे दे रहे हैं। भारतीय सुरक्षा तंत्र ने इन वीडियो और भेजे जा रहे सिग्नल्स को गंभीरता से लिया है।

राजनीतिक और सैन्य रुख — सख्ती की चेतावनी

रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख के हालिया बयानों ने संकेत दिए हैं कि भारत ने किसी भी नए उकसावे का जवाब देने की क्षमता और इच्छा स्पष्ट कर दी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को “सोचने पर मजबूर” किया है, जबकि सेना प्रमुख ने संकेत दिए कि अगर जरूरत पड़ी तो इस बार सीमित संयम नहीं दिखाया जाएगा। इन बयानों से यह स्पष्ट होता है कि रणनीतिक तैयारी बढ़ा दी गई है।

फ्रंटलाइन पर तैयारियाँ और अलर्ट

सीमा सुरक्षा बलों (BSF/आर्मी/आईजी फ्रंटियर) ने निगरानी और पेट्रोलिंग बढ़ा दी है; नए सर्विलांस सिस्टम, ड्रोनों और इंटेल रिपोर्टिंग के जरिए सम्भावित घुसपैठ प्रयासों को रोकने पर जोर है। सैनिक कमाण्डर बताते हैं कि बर्फबारी से पहले घुसपैठ का खतरा बढ़ जाता है—इसीलिए अभी सक्रिय तैयारियाँ तेज हैं।

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विशेषज्ञ क्या कहते हैं — ‘रोकना’ ही लक्ष्य होना चाहिए

रक्षा-विशेषज्ञ इस कदम को दो तरह से देख रहे हैं — एक, यह निवारक और प्रतिवाद स्वरूप तैयारी है ताकि दुश्मन को कोई सहज लाभ न मिल पाए; और दो, यह रणनीतिक संकेत है कि भारत आगे बढ़कर ‘हिस्सेदार विनाश’ करने की बजाय असल में आतंकी संरचनाओं को निष्क्रिय करने पर केंद्रित रहेगा। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि विरोधी के समर्थन-चैनलों (विदेशी पाँतियों/सपोर्ट) पर भी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से दबाव बनाना होगा ताकि होने वाले नुकसानों की पुनर्निर्माण क्षमता प्रभावित हो। Wikipedia

क्या हो सकता है — संभावित परिदृश्य

  • इंटेल-आधारित प्री-इम्सीव दबाव: सीमापार आतंकी और लॉजिस्टिक्स की पहचान कर उन्हें लक्षित करना।

  • सीमापार कार्रवाई (सुरक्षित-लक्षित, सीमित अवधि): अगर स्पष्ट और सटीक ठिकानों की पुष्टि हो तो‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ जैसा लक्ष्य-निर्धारित अभियान संभव है।

  • कूटनीतिक-आधारित दबाव: पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय समर्थन-नेटवर्क पर दबाव व जवाबी कूटनीति।

अनिर्णय के ख़तरें और ज़रूरी कदम

  1. साफ इंटेल-परक खुलासा — सरकार को जनता को नियंत्रित और अनावश्यक घबराहट से बचाते हुए प्रामाणिक जानकारी देनी चाहिए।

  2. अंतर-सुरक्षा समन्वय — सेना-खुफिया-सीमा बलों का समन्वय और स्थानीय सिविल प्रशासन के साथ तालमेल जरूरी है।

  3. कूटनीतिक मोर्चा — पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाव बनाना, और राजनयिक चैनलों को सक्रिय रखना ज़रूरी होगा।

  4. लोक सुरक्षा और सतर्कता — सीमा-आसपास रहने वाले नागरिकों के लिए अलर्ट सिस्टम और बचाव-तैयारी सक्रिय रखें।

Praveen Dubey

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