
हरियाणा की दो बेटियां जिन्होंने भारत का नाम किया रोशन: कल्पना चावला और सायना नेहवाल
हरियाणा की दो बेटियां जिन्होंने भारत का नाम किया रोशन: कल्पना चावला और सायना नेहवाल
17 मार्च: जब हरियाणा की दो बेटियों ने जन्म लेकर भारत का नाम किया रोशन!
भारत के लिए 17 मार्च एक विशेष दिन है, खासकर हरियाणा राज्य के लिए, क्योंकि इसी दिन यहां की दो प्रतिभाशाली बेटियों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने असाधारण योगदान से देश का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा किया। ये दो महान महिलाएं हैं – अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने वाली कल्पना चावला और बैडमिंटन के अंतरराष्ट्रीय मंच पर सफलता की नई इबारत लिखने वाली सायना नेहवाल।
कल्पना चावला: अंतरिक्ष में भारत की बेटी
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1961 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। बचपन से ही उन्हें विज्ञान और अंतरिक्ष में गहरी रुचि थी। करनाल के टैगोर बाल निकेतन स्कूल में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। उनका सपना था कि वे अंतरिक्ष में जाएं, और इसी जुनून ने उन्हें अमेरिका तक पहुंचाया।
अमेरिका में करियर और नासा से जुड़ाव
कल्पना चावला ने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स और पीएचडी की। उनकी कड़ी मेहनत और लगन का ही परिणाम था कि उन्हें नासा में बतौर अंतरिक्ष यात्री काम करने का अवसर मिला। 1997 में उन्हें कोलंबिया स्पेस शटल मिशन STS-87 में शामिल किया गया और वे अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
दूसरा मिशन और दुखद अंत
2003 में कल्पना चावला को कोलंबिया स्पेस शटल मिशन STS-107 में शामिल किया गया। यह मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ, लेकिन दुर्भाग्यवश वापसी के दौरान 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में कल्पना चावला समेत सभी सात अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई।
कल्पना चावला की विरासत
कल्पना चावला का नाम आज भी भारतीय युवाओं, खासकर महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके सम्मान में नासा ने एक उपग्रह का नाम उनके नाम पर रखा, और भारत में कई स्कूल और संस्थान उनके नाम पर स्थापित किए गए हैं।
सायना नेहवाल: बैडमिंटन की अंतरराष्ट्रीय चैंपियन
प्रारंभिक जीवन और खेल से जुड़ाव
सायना नेहवाल का जन्म 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। उनके माता-पिता भी बैडमिंटन खिलाड़ी थे, जिससे उन्हें इस खेल की प्रेरणा मिली। बचपन में ही उन्होंने इस खेल में रुचि लेनी शुरू कर दी और जल्द ही उनकी प्रतिभा सबके सामने आने लगी।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता
सायना नेहवाल ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया और शानदार प्रदर्शन किया। 2006 में उन्होंने विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, और 2008 में वह विश्व जूनियर चैंपियन बनने वाली पहली भारतीय बनीं।
ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी
सायना नेहवाल ने 2012 के लंदन ओलंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया। वह बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। इसके अलावा, उन्होंने 2009 में इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज जीतकर भी इतिहास रचा।
सायना की उपलब्धियां और योगदान
2010 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक
2015 में दुनिया की नंबर 1 बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं
2016 में रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया
24 अंतरराष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए
2010 और 2018 में अर्जुन पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न और पद्म भूषण से सम्मानित
सायना नेहवाल की विरासत
सायना नेहवाल ने भारतीय बैडमिंटन को एक नई पहचान दी और युवाओं को इस खेल में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारत को बैडमिंटन में विश्व मानचित्र पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।
कल्पना चावला और सायना नेहवाल भारत की उन बेटियों में शामिल हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत, लगन और समर्पण से दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई। कल्पना ने अंतरिक्ष विज्ञान में और सायना ने खेल के क्षेत्र में भारत को गौरवान्वित किया।
17 मार्च का यह दिन हमें याद दिलाता है कि यदि संकल्प मजबूत हो और मेहनत सच्चे मन से की जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। इन दोनों महिलाओं की कहानियां आज भी लाखों लोगों को प्रेरित कर रही हैं और आगे भी करती रहेंगी।