
भारत का संविधान सर्वोच्च एवं मानवीय मूल्यों की अभिव्यक्ति है: प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश
भारत का संविधान सर्वोच्च एवं मानवीय मूल्यों की अभिव्यक्ति है: प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश
उत्तर बस्तर कांकेर/ संविधान दिवस के अवसर पर जिला न्यायालय कांकेर में संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद कुमार ध्रुव ने अपने उद्बोधन में संविधान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारा संविधान सर्वोच्च मानवीय मूल्यों, उत्कृष्ट लोकतांत्रिक आदर्शों, कर्तव्यों एवं मौलिक अधिकारों की पावन अभिव्यक्ति है। उन्होंने मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के साथ साथ मौलिक कर्तव्यों का पालन करने हेतु भी कहा जिससे कि समाज, राज्य एवं देश का उत्तरोत्तर विकास हो सके। इस अवसर पर लीना अग्रवाल, प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश ने अपने उद्बोधन में संविधान के निर्माण एवं महत्व पर प्रकाश डाला। अधिवक्ता संघ कांकेर के अध्यक्ष नरेन्द्र दवे ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में संविधान निर्माण के बारे मे बताते हुए बस्तर अंचल के रामप्रसाद पोटाई को भी प्रारूप समिति में शामिल होने के बारे में बताया। इस अवसर पर भूपेंद्र वासनीकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अन्य न्यायाधीशगण, बार के पदाधिकारी, अधिवक्ता एवं डिफेंस काउंसिल के सदस्यगण उपस्थित रहे।